The Employee’s State insurance (ESI) Act 1948 एक ऐसा अधिनियम है जो फैक्टरियों में काम करने वाले श्रमिकों तथा उनके परिवार को मेडिकल सम्बन्धी कारणों के लिए एक वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है। यह ESI कैलकुलेशन उन सभी Power Using Factories पर लागु होती जिनमे 10 से ज्यादा कर्मचारी काम करते है तथा Non-Power Using Factories के लिए यह संख्या 20 है। एक कर्मचारी तथा उसका नियोक्ता दोनों ही ESI Act 1948 में अपना Contribution करते है। The Employees’ State Insurance Corporation (ESIC) एक संवैधानिक कॉर्पोरेट संस्था है जो ESI Act की योजनाओं के प्रशासन की जिम्मेदारी संभालती है।
Table of Contents
ESI Act 1948 क्या है ?
भारत सरकार के अनुसार ESI Act 1948 की भाषा ये है – बीमारी (Sickness), प्रसूति (Maternity) और नियोजन–क्षति की दशा में कर्मचारियों के लिए कतिपय प्रसुविधाओं का उपबन्ध करने और उनके सम्बन्ध में कतिपय अन्य बातों का उपबन्ध करने के लिए अधिनियम
हालाँकि यह भाषा आपको काफी कठिन लग रही होगी लेकिन हम इसको सरल भाषा में समझने की कोशिश करेंगे। सरल भाषा में ESI Act एक बीमा योजना है जो कर्मचारियों तथा उनके परिवार को अनेक लाभ प्रदान करती है। अब तक लगभग 2 करोड़ से अधिक कर्मचारियों तक यह सुविधा पहुँच चुकी है त था देशभर में लगभग 150 से अधिक अस्पताल इस योजना के तहत खोले जा चुके है तथा 1500 से अधिक Dispensaries भी इस अधिनियम के तहत खोली जा चुकी है।
ESI रजिस्ट्रेशन के लिए योग्यता
ESI Act 1948 उन सभी कंपनियों के लिए लागु होता है जिनमे 10 या इससे अधिक कर्मचारी काम करते है तथा कर्मचारियों का मासिक Wage 21,000 या इससे काम है। ESI Act के तहत उन सभी कर्मचारियों को गिना जाता है जो रेस्टोरेंट्स,मोटर रोड ट्रांसपोर्ट,Newspaper Establishment and Undertakings, Movies and Purview Theaters, होटल, दुकानों आदि में काम करते है। आप इस Flowchart में आसानी से इस अधिनियम की पात्रता को देख सकते है –
ESI Act 1948 के फायदे
- Medical Benefits :- कर्मचारी के मेडिकल से सम्बंधित सभी खर्चे ESIC द्वारा भुगतान किये जाते है जब एक कर्मचारी रोजगार करना शुरू करता है तो उसी दिन से ही यह नियम लागु हो जाता है।
- Disability Benefits :- अगर कोई कर्मचारी Temporary Disablement का सामना करता है तो Injury के दौरान उसकी पूरी मासिक तनख्वाह का भुगतान किया जाता है तथा Permanent Disablement की कंडीशन में उसको पूरे जीवनभर तनख्वाह मिलती है।
- Maternity Benefit :- मातृत्व लाभ के रूप में कर्मचारी को पूरे 26 सप्ताह तक अपने औसत Daily Wage का 100% हिस्सा मिलता है तथा गर्भपात की कंडीशन में 6 सप्ताह तक इसका फायदा मिलता है और गोद लेने की कंडीशन में 12 सप्ताह तक इसका फायदा मिलता है।
- Sickness Benefits :- अगर कोई कर्मचारी Medical leave पर है तो उसे अपने Daily Wage का 70% हिस्सा 91 दिनों के अधिकतम समयांतराल के लिए मिलता है।
- Unemployment Allowance :- अगर कोई कर्मचारी किसी वजह से अपना रोजगार खो देता है तो उसे अधिकतम 24 दिनों के लिए अपना पूरा मासिक वेतन प्राप्त होता है।
- Dependent’s Benefit :- अगर कोई कर्मचारी काम के दौरान अपना जीवन खो देता है तो उसके परिवार के सदस्यों को मासिक रूप से तनख्वाह का भुगतान किया जाता है।
ESI Act 1948 के अन्य फायदे इस प्रकार है –
- Confinement Expenses
- Funeral Expenses
- Physical Rehabilitation
- Vocational Training
- राजीव गाँधी श्रमिक कल्याण योजना के तहत Skill Upgradation Training
ESI Act 1948 Contribution Rates
जो भी कर्मचारी 21,000 रूपये मासिक से कम कमाते है वो अपनी तनख्वाह का 0.75% ESI में Contribute करते है तथा उनके कर्मचारी इसमें 3.25% Contribute करते है ( जुलाई 2019 Revisions के अनुसार )। इस प्रकार यह कुल 4% ESI Contribution हो जाता है। जब भी कोई कंपनी ESI योजना के लिए पात्र बनती है तो इसके 15 दिनों बाद इसमें काम करने वाले कर्मचारी ESI Scheme के लिए आवेदन कर सकते है।
आइये एक सरल उदाहरण से इसको समझते है –
माना कि कोई कर्मचारी 10,000 रूपये प्रति माह कमाता है तो उसको ESI में 75 रुपयों का Contribution करना पड़ेगा तथा उसका Employer 325 रूपये का इसमें भुगतान करेगा। इस प्रकार कर्मचारी का उस महीने का ESI का भुगतान कुल 400 रूपये का हो गया ( 300 + 75 ) तथा इसके भुगतान के बाद कर्मचारी के हाथ में 9925 रूपये आएँगे ( 10,000 – 75 ) तथा कर्मचारी का CTC (Cost to Company) 10325 रूपये हो गया (10,000 + 325)। (यहां हम यह मानकर चल रहे है की अन्य किसी भी प्रकार का कोई एक्ट जैसे PF, Bonus आदि लागु नहीं हैं)।
सारी जानकारी विस्तार से पाने के लिए आप हमारे इस वीडियो को देख सकते है –
ESI Contribution Late Payment Interest/Damages
ESI Contribution का भुगतान हर महीने किया जाना आवश्यक है। किसी भी विशेष महीने का ESI Contribution उससे अगले महीने की 15 तारीक से पहले किया जाना जरूरी है। इसका मतलब ये हुआ की मार्च महीने का ESI Contribution 15 अप्रैल से पहले किया जाना आवश्यक है। अगर आप इस Deadline से पहले अपना कंट्रीब्यूशन नहीं कर पाते है तो आपको अपनी कुल ESI Due राशि पर एक अतिरिक्त Interest तथा Damages का भुगतान करना पड़ता है। Employer को Late Payment की कंडीशन में 12% प्रति वर्ष की दर से इंटरेस्ट का भुगतान करना पड़ता है। Late Payment की कंडीशन में लगने वाले Damages को निम्न Categories में बांटा गया है –
- 0 to 2 months delay – 5% pa.
- 2 to 4 months delay – 10% pa.
- 4 to 6 months delay – 15% pa.
- Over 6 months delay – 25% प्।
तो ESI Late Payment की कंडीशन में आपको इस प्रकार से Damages का भुगतान करना पड़ता है लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि कुल Damaged राशि कुल Due राशि से अधिक नहीं हो सकती। आइये एक उदाहरण से इसको समझते है –
उदाहरण
- माना कि आपकी कुल Due राशि 1 लाख रूपये है तथा आप इसको 1 साल तक Delay करते है।
- तो इस कंडीशन में आपकी पहले 2 महीनों के लिए कैलकुलेशन 5% Interest रेट के हिसाब से होगी जो 833.33 रूपये होती है [ 1,00,000 * (5/100) * (2/12) ] ।
- अगर आप इसको अगले 2 महीनों के लिए और Delay करते है तो यह कुल 4 महीनों के लिए Delay हो गया तथा आपकी Interest Rate दुगुनी हो जाएगी तथा बाकी सारी कैलकुलेशन वही रहेगी तो यह राशि अब 1666.66 हो गई [ 1,00,000 * (10/100) * (2/12) ]।
- इसी प्रकार माना कि आप इसे अगले 2 महीनों के लिए और Delay करते है तो अब आपने कुल 6 महीनों के लिए इसको Delay कर दिया है। इसलिए आपको 15% कि ब्याज दर के साथ ब्याज भरना पड़ेगा तो यह राशि अब 2500 रूपये हो गई [ 1,00,000 * (15/100) * (2/12) ] ।
- इसी प्रकार अगर आप अगले 6 महीनों के लिए कैलकुलेशन करेंगे तो यह राशि कुल 12,500 रूपये होगी [ 1,00,000 * (25/100) * (6/12) ] ।
- अब अगर आप पुरे साल की कैलकुलेशन करना चाहते है तो इन उपरोक्त 4 कॅल्क्युलेशन्स का योग कर लीजिए जो आपके टोटल Damage के बराबर होगा तथा जोड़ने पर हम पाते है कि यह राशि 17,499.99 रूपये बैठती है।
तथा अगर हम Interest की बात करें तो वो आपको 12% प्रति वर्ष या 1% प्रति माह के हिसाब से भुगतान करना पड़ेगा।
आपको क्या करना चाहिए ?
हमारे अनुभव तथा विवेक के अनुसार हम आपको यही सलाह देना चाहेंगे कि आपको अपना ESI Payment समय समय पर भुगतान कर देना चाहिए। हालाँकि ऐसा हो सकता है कि आपको कुछ समय तक ESI डिपार्टमेंट की तरफ से कोई नोटिस नहीं आए लेकिन कई कई कंपनियों को 5-5 साल बाद भी नोटिस आते है तथा इसके बाद इतनी भारी राशि का भुगतान आपको थोड़ा कष्टप्रद लग सकता है। अतः उचित यही रहेगा कि आप समय समय पर अपने पेमेंट का भुगतान करते रहें।
Types of ESI Act 1948 Late Payment Notices
आपको मुख्यतः 3 प्रकार के ESI नोटिस मिल सकते है –
- C-18(I) (Interest) :- इस नोटिस में आपकी कुल Interest राशि का जिक्र होता है जो आपको भरने की जरूरत है। इसको आप अपने स्तर पर Defend भी कर सकते हो इसके लिए आपको ESI डिपार्टमेंट जाना होगा तथा वहां अगर आपकी तरफ से कोई गलती सामने नहीं आती है तो आपकी Interest राशि Cancel भी हो सकती है।
- D-18 (Damages) :- इस नोटिस में कुल Damages का जिक्र होता है जो आपको भरने की जरूरत है। ऊपर वाले नोटिस की तरह आप इसको भी Defend कर सकते है।
- C-18 (ADHOC) :- इसका मतलब यह है कि नोटिस में दी गई राशि Final नहीं है। आइये एक उदाहरण की सहायता से इसको समझते है –
Example to support C-18 (ADHOC) Notice
माना कि राजस्थान राज्य के जयपुर शहर में कोई Firm है जिसमे 100 कर्मचारी काम करते है। किसी कारणवश यह फर्म जयपुर से जोधपुर शहर में शिफ्ट हो जाती है तो अब जयपुर में कर्मचारियों के जो ESI नंबर थे वो अस्तित्व में नहीं रहेंगे तथा ये जोधपुर में शिफ्ट हो जाएंगे। लेकिन Employer ने अभी तक जयपुर वाली ब्रांच का Closure Letter सबमिट नहीं किया है तो जयपुर में एकाएक 100 कर्मचारियों का ESI Contribution बंद हो जाएगा तथा वहां के अधिकरियों को यह लगेगा कि इन्होने जानबूझकर ESI Contribution नहीं किया है तथा उनको लगेगा कि अभी भी 100 कर्मचारी जयपुर में काम कर रहे है। ऐसी कंडीशन में अगर 10 महीनों से ज्यादा समय बीत चूका है तो ESI Department आपके नाम नोटिस भेज देगा जिसमे आपकी Due अमाउंट का जिक्र होगा।
तथा इसके साथ साथ वे आपको ESI Damages तथा Interest का भुगतान करने का भी आदेश दे देंगे। अब आप ऐसा सोच रहे होंगे कि ESI डिपार्टमेंट को आपके Due charges का पता कैसे चलेगा तो हो सकता है कि उनको किसी Inspections या शिकायत के द्वारा इसका पता लग जाए कि आपके जयपुर की फर्म के 100 कर्मचारियों का ESI Contribution नहीं आ रहा है।
इस कंडीशन में ADHOC का योगदान
ADHOC का यहां पर मतलब यह है कि Due के रूप में Charge की गई अमाउंट फाइनल नहीं है तो इस कंडीशन में आपको अपना पक्ष रखने के लिए 15-20 दिनों का समय दिया जाएगा जिसमे आप अपना पक्ष भलीभाँती रख सकते है।माना कि आपकी सुनवाई होने के बाद Due अमाउंट कम हो गई है या 0 हो गई है तो फिर आपके पास एक नया नोटिस आएगा जिसका नाम C-18(Actual) होगा। इस नोटिस में उस फाइनल अमाउंट का वर्णन होगा जो आपको भुगतान करना पड़ेगा।
अगर आप इस प्रकार के किसी Notice के खिलाफ अपनी आवाज़ नहीं उठाते है तो ESI डिपार्टमेंट के अधिकारीयों को लगेगा कि सारी गलती आपकी है तथा आपको यह सारा अमाउंट ESI Employer Portal के माध्यम से भरना पड़ेगा।vv
अगर आप नोटिस जारी होने के बाद भी भुगतान नहीं करते है या अपना पक्ष नहीं रखते है तो ?
आपको जो 15-20 दिनों का समय दिया जाता है उसमे भी अगर आप भुगतान नहीं करते है या अपना पक्ष नहीं रखते है तो आपको Section 45(A) के अंतर्गत एक Show-Cause Notice भेजा जाता है जिसमे यह साफ शब्दों में लिखा रहता है कि यह आपको अंतिम चेतावनी है। अंतिम चेतावनी में यह लिखा रहेगा “either pay the amount or fight it”। अगर इस नोटिस के आने के बाद आप अपना पक्ष रखने का निर्णय लेते है तो इसके लिए पहले आपको अपनी Due अमाउंट का 50% भरना पड़ेगा। इतना भुगतान करने के बाद आप अपना पक्ष Regional PF Commissioner के सामने रख सकते है तथा RPFC का निर्णय ही अंतिम होगा। लेकिन अगर आप इस निर्णय से संतुष्ट नहीं है तो आप आगे कोर्ट की भी शरण ले सकते है।
अगर आप सारी Notices के बाद भी भुगतान नहीं करते है तो ?
अगर आप अभी भी अपना भुगतान नहीं करते है तो आपको Section 45(H) के तहत एक और Show-Cause Notice जारी किया जाएगा जिसमे यह कहा जाएगा कि “अगर आप अभी भी अपनी राशि का भुगतान नहीं करते है तो आपको गिरफ्तार किया जाएगा”
तथा इसके बाद एक अरेस्ट वारंट जारी होगा जिसके तहत आपको हकीकत में गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
अगर आप यह सारी प्रक्रिया और ज्यादा विस्तार से जानना चाहते है तो यह वीडियो देख सकते है –
FAQs
ESI Act 1948 एक सामाजिक सुरक्षा योजना है जो फैक्टरियों और अन्य अधिसूचित प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों को बीमारियों, मातृत्व, दुर्घटनाओं आदि के लिए वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है। यह एक्ट उन सभी कंपनियों पर लागू होता है जिनमें 10 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत होते हैं और जिनकी मासिक आय 21,000 रुपये या उससे कम होती है।
ESI रजिस्ट्रेशन उन सभी कंपनियों के लिए अनिवार्य है जिनमें 10 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं और जिनके कर्मचारियों का मासिक वेतन 21,000 रुपये या उससे कम है। यह नियम रेस्टोरेंट्स, मोटर रोड ट्रांसपोर्ट, न्यूज़पेपर एस्टैब्लिशमेंट्स, होटल, दुकानों आदि में काम करने वाले कर्मचारियों पर भी लागू होता है।
ESI Act 1948 के तहत कर्मचारियों को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं, जैसे कि मेडिकल बेनिफिट्स, स्थायी या अस्थायी विकलांगता लाभ, मातृत्व लाभ, बीमारियों के दौरान वेतन का 70% हिस्सा, बेरोजगारी भत्ता, और कर्मचारी की मृत्यु के बाद आश्रितों को मासिक पेंशन जैसी सुविधाएँ।
जो कर्मचारी 21,000 रुपये मासिक से कम कमाते हैं, वे अपनी तनख्वाह का 0.75% ESI में योगदान करते हैं, और उनके नियोक्ता 3.25% योगदान करते हैं। इस प्रकार कुल 4% ESI Contribution होता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी की मासिक आय 10,000 रुपये है, तो उसे 75 रुपये ESI में योगदान करना होगा और उसके नियोक्ता को 325 रुपये का योगदान करना होगा।
ESI Contribution का भुगतान देरी से करने पर नियोक्ता को 12% प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करना पड़ता है। इसके अलावा, देरी की अवधि के अनुसार 5% से 25% तक की दर से अतिरिक्त जुर्माना भी देना पड़ता है। इस जुर्माने का भुगतान कुल बकाया राशि से अधिक नहीं हो सकता।
ESI Act 1948 के तहत देरी से भुगतान के लिए मुख्य रूप से तीन प्रकार के नोटिस जारी किए जा सकते हैं: C-18(I) (Interest), D-18 (Damages), और C-18(ADHOC)। इन नोटिसों में बकाया राशि, ब्याज, और जुर्माने का विवरण होता है। यदि नोटिस का जवाब नहीं दिया जाता है, तो नियोक्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें गिरफ्तारी भी शामिल हो सकती है।