अगर आप एक कर्मचारी है तो आपने कभी न कभी Employment Bond पर जरूर हस्तक्षार किया होगा या फिर अगर आप भविष्य में कोई जॉब करने की योजना बना रहे है तो आपका सामना जरूर Employment Bond से होने वाला है।
क्या Employment Bond आपको उसी जॉब में रहने के लिए बाध्य करता है? क्या Employment Bond में लिखी सभी प्रकार की राशि आपको Pay करनी पड़ती है? क्या ये Employment Bond कानूनी रूप से वैध है या अवैध है? वो कौनसी बातें है जो एक Employment Bond को अवैध बना देती है?
अगर आप भी इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानना चाहते है तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होने वाला है क्योंकि आज हम इस आर्टिकल में Employment Bond तथा इससे सम्बंधित कानूनों के बारे में जानेंगे।
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Employment Bond की बेसिक जानकारी
Employment Bond की सबसे प्रसिद्ध परिभाषा तो यही है कि एक ऐसा डॉक्यूमेंट है जो आपको उसी जॉब में रहने के लिए मजबूर करता है।
लेकिन अगर हम इसकी वैध परिभाषा की बात करें तो यह Indian Contract Act, 1872 के अनुसार एक ऐसा एग्रीमेंट है जो कर्मचारी तथा उसके Employer के बीच एक Negative Covenant के साथ साइन किया जाता है। यह एग्रीमेंट इस Negative Covenant के साथ पूर्णतः वैध है तथा कानूनी है अगर दोनों पक्ष अपनी स्वतंत्र सहमती के साथ, बिना किसी दबाव तथा बिना किसी धोखाधड़ी से इसको साइन करते है।
आसान शब्दों में यह एक ऐसा एग्रीमेंट है जिस पर एक Employer तथा उसका कर्मचारी अपनी इच्छा से तथा बिना किसी बाहरी दबाव के सहमत होते है लेकिन इसके साथ ऐसी और भी अनेक बातें है जो इसको एक अवैध कागजात में बदलती है।
आप यह परिभाषा पढ़ने के बाद सोच रहे होंगे कि यह एक Negative Covenant क्या है? तो यह एक ऐसा एग्रीमेंट है जो आपको कोई काम करने से रोकता है न कि आपको काम करने के लिए मजबूर करता है।
मुख्यतः 3 प्रकार के Negative Covenant देखे जाते है –
1. कंपनी के साथ काम करने की अवधि
इसमें यह निश्चित किया जाता है कि आप किसी कंपनी में कितने समय तक काम करने वाले हो। माना कि आप एक कंपनी ज्वाइन करते हो तथा ज्वाइन करते समय 3 साल का एग्रीमेंट साझा करते हो लेकिन आप 6 महीने बाद कंपनी छोड़ना चाहते हो तो आपको कुछ निश्चित Penalties का भुगतान करना पड़ेगा क्योंकि कंपनी आपको अच्छे से ट्रेनिंग देती है तथा इसके बाद ही आप कंपनी छोड़ देते है तो वो कंपनी तो एक ट्रेनिंग सेंटर बनकर रह जाएगी। उस कंपनी का विकास कैसे होगा। इन्ही कारणों की वजह से यह एग्रीमेंट साइन किया जाता है।
2. कंपनी छोड़ने के बाद कुछ निश्चित समय तक Competitor को ज्वाइन नहीं करना
इसके अंतर्गत एक कर्मचारी कंपनी छोड़ने के बाद कुछ निश्चित समय तक किसी अन्य Competitor कंपनी को ज्वाइन नहीं कर सकता। माना कि एक कर्मचारी सेल्स सेक्टर की एक कंपनी (एक एजुकेशनल पब्लिकेशन) के लिए काम करता है जहां वो बुक्स को अनेक Clients तक पहुंचता है जैसे Schools, Students तथा अन्य distributors तो अगर वह कर्मचारी उस कंपनी को छोड़कर उसी समय किसी अन्य इसी प्रकार की कंपनी को ज्वाइन करता है तो हो सकता है कि पहले वाली कंपनी अपने कुछ Clients को खो दें। तो कर्मचारी के साथ यह एग्रीमेंट किया जा सकता है यह कंपनी छोड़ने के बाद वह अगले 2 या 3 साल के लिए इसी प्रकार की किसी अन्य कंपनी को ज्वाइन नहीं कर पाएगा।
3. गोपनीयता
इसके अनुसार कंपनी छोड़ने के बाद व्यक्ति कंपनी से सम्बंधित डाटा, सॉफ्टवेयर, बिज़नेस मॉडल, या कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी किसी अन्य Competitor के साथ शेयर नहीं कर सकता।
इसके बारे में हम आगे और बात करेंगे।
एक वैध Employment Bond क्या है ?
- दोनों पक्षों द्वारा एग्रीमेंट पर अपनी स्वतंत्र सहमती से हस्ताक्षर किये जाने चाहिए।
- एग्रीमेंट में कही गई सारी बातें उचित होनी चाहिए तथा कंपनी द्वारा कर्मचारी पर किये जाने वाले खर्चों का भी इसमें विवरण होना चाहिए।
- एक Bond तभी वैध होगा जब इसको एक उचित मूल्य के स्टाम्प पेपर पर साइन किया जाएगा।
- कर्मचारी को जो भी ट्रेनिंग दी जाएगी उसका वर्णन विस्तार से सही तरीके से इसमें होना चाहिए।
- कंपनी की गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए एग्रीमेंट में साफ-साफ वर्णन होना चाहिए।
एक नियोक्ता Employment Bond की शर्तों को कर्मचारी पर कब लागु कर सकता है?
इन स्थतियों में एक नियोक्ता Bond की शर्तों को कर्मचारी पर लागु कर सकता है –
- जब Employer ने कर्मचारी की ट्रेनिंग तथा उसके Improvement के लिए कुछ पैसे व्यय किये हो।
- जब कर्मचारी निश्चित समय से पहले कंपनी छोड़ना चाहता हों।
आइये एक उदाहरण से इसको समझते है –
अगर आपके Employer ने आपकी ट्रेनिंग पर किसी भी प्रकार का कोई खर्चा नहीं किया है तो वो आप पर कंपनी छोड़ते समय किसी भी प्रकार की कोई Penalty नहीं लगा सकता। अगर Employer ऐसा करता है तो यह एक प्रकार का फ्रॉड है।
अब हम ये चर्चा करेंगे कि कोर्ट ने इन 3 मुख्य Negative Covenants के बारे में किस प्रकार के नियम जारी कर रखे है –
समय से पहले इस्तीफा
आइये एक उदाहरण से इसको समझते है –
Sicpa India Limited तथा ‘श्री मानस प्रतिम देब’ के बीच एक मामला हुआ जब कंपनी ने कहा कि कर्मचारी को 2,00,000 रूपये की Penalty देनी होगी क्योंकि 36 महीने काम करने का एग्रीमेंट था तथा कर्मचारी 2 साल बाद ही कंपनी छोड़ रहा है।
कोर्ट ने कंपनी से पूछा कि आपने कर्मचारी की ट्रेनिंग पर कितने रूपये खर्च किये है? इस पर कंपनी ने बताया कि उन्होंने 67,595 रूपये खर्च किये है। कोर्ट का निर्णय कर्मचारी के पक्ष में था तथा चूँकि कर्मचारी ने कंपनी में 2 साल तक काम किया था इसलिए कर्मचारी को केवल 22,532 रूपये कंपनी को Penalty के रूप में देने होंगे।
इससे हमें यह बात समझ में आती है कि भले ही Bond में कितनी भी राशि की बात की गई हो, एक कर्मचारी उतनी ही राशि Penalty के रूप में देगा जितना उसकी ट्रेनिंग पर कंपनी द्वारा खर्च किया गया है। कंपनी एक Bond पर ज्यादा राशि का वर्णन Long-term को देखते हुए करती है।
तथा चूँकि कंपनी द्वारा कर्मचारी को दी गई ट्रेनिंग कंपनी के लिए ही लाभकारी थी। इसलिए कोर्ट ने एक उचित राशि भुगतान करने का आदेश दिया भले ही Bond में कितनी भी राशि का जिक्र हो।
पद छोड़ने के बाद की बाध्यता
इस प्रकार की भी अनेक स्थतियाँ बनती है। उदाहरण के रूप में Tico Services तथा ‘Mr Kaushik Pal Chowdhary’ के बीच मामले में भी कोर्ट ने फैसला कर्मचारी के पक्ष में सुनाया। कंपनी ने कर्मचारी को कंपनी छोड़ने के बाद उसी सेक्टर की कंपनी में काम नहीं करने के लिए बाध्य करने वाला एक एग्रीमेंट साइन किया था लेकिन कोर्ट ने साफ साफ कह दिया कि कोई भी कंपनी किसी कर्मचारी को इस प्रकार से बाध्य नहीं कर सकती।
इसी प्रकार के अनेक मामले देखने को मिलते है जिनके बारे में जानने के लिए आप हमारे यूट्यूब वीडियो को देख सकते है जिसका लिंक नीचे दिया गया है।
गोपनीयता Clause
अगर Sales Sector का कोई कर्मचारी कंपनी छोड़ने के बाद कंपनी का डाटा किसी अन्य कंपनी के साथ साझा करता है तो यह कानूनी रूप से गलत है क्योंकि कंपनी ने आपको आपके काम के लिए भुगतान भी तो किया था।
Head Hunters के CEO ‘Kris Lakshmikanth’ कहते है कि एक निश्चित समय के लिए ही यह नियम लागु होना चाहिए तथा उसके बाद कर्मचारी पहले वाली कंपनी का डाटा अन्य कंपनियों के लिए या अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकता है।
एक कर्मचारी Bonds के विरूद्ध कैसे अपनी आवाज उठा सकता है
अगर आप अपनी कंपनी में किसी प्रकार के उत्पीड़न का सामना कर रहे है या आपका Employer आपको अपनी कंपनी में काम करने के लिए मजबूर कर रहा है या आपसे अनुचित तरीके से पैसों की मांग की जा रही है तो आइये कुछ कानुनी बातों को समझते है जो आपकी सहायता कर सकती है –
- एक प्राचीन भारतीय प्रतिमा के अनुसार आज के जमाने में बंधुआ मजदूरी का कोई अस्तित्व नहीं है अर्थात कोई भी Employer आपको किसी फिक्स Contract या Bond के तहत काम पर नहीं रख सकता।
- भारतीय संविधान का आर्टिकल 19 व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की बात करता है जिसके अनुसार कोई भी Contract या Bond किसी व्यक्ति को स्वतंत्रतापूर्वक कार्य करने से रोक नहीं सकता। अगर ऐसा होता है तो यह व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है जिस पर कोर्ट सख्ताई बरतेगा।
- भारतीय अनुबंध अधिनियम के अनुसार कोई भी एकतरफा Bond पूर्णतः अवैध है तथा उसका कोई मतलब नहीं है।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 368 में कहा गया है कि अगर कोई Employer किसी कर्मचारी के दस्तावेजों को जब्त करके कर्मचारी को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचने की कोशिश करता है तो Employer को 2 या इससे ज्यादा सालों का भी कारावास हो सकता है।
निष्कर्ष
हम कह सकते है कि अगर कोई कंपनी किसी कर्मचारी की ट्रेनिंग पर अगर पैसा खर्च कर रही है तो या तो कर्मचारी को एक निश्चित समय के लिए कंपनी में अपनी सेवाएं देनी पड़ेगी या फिर जुर्माना के रूप में उचित राशि का भुगतान करना पड़ेगा।
अगर आपका Employer आपको किसी प्रकार की धमकी दे रहा है या आपसे अनुचित पैसों की वसूली कि कोशिश कर रहा है या आपके कागजात जब्त करके आपसे कोई अनुचित मांग कर रहा है तो आपको तुरंत इसकी शिकायत सम्बंधित अधिकारीयों से करनी चाहिए।
इस विषय पर और ज्यादा जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारे इस वीडियो को देख सकते है
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