HomeGENERALइनकम टैक्स कैलकुलेशन, Slab Rates तथा टैक्स सेविंग की पूरी जानकारी

इनकम टैक्स कैलकुलेशन, Slab Rates तथा टैक्स सेविंग की पूरी जानकारी

अगर आप भी अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना चाहते है तो ऐसा करने से पहले आपको इससे सम्बंधित सारी जानकारी जरूर पता कर लेनी चाहिए। आपको सबसे पहले अपनी टैक्सेबल इनकम का पता करके फिर यह जानना चाहिए कि आपको इसपे कितनी टैक्स राशि का भुगतान करना होगा। आप ऐसा तभी कर पाएंगे जब आपको उस साल की इनकम टैक्स स्लैब रेट्स के बारे में पता हो। तो आज के इस आर्टिकल में हम इनकम टैक्स कैलकुलेशन प्रक्रिया तथा साल 2019-20 की स्लैब रेट्स के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

Table of Contents

फ्लैट टैक्स स्लैब क्या है?

फ्लैट टैक्स स्लैब का सीधा सा मतलब ये हुआ कि सभी टैक्स भरने वाले नागरिकों पर समान टैक्स रेट लगेगी चाहे उनकी इनकम रेंज कितनी भी हो। उदाहरण के तौर पर जब आप किसी प्रकार की लॉटरी या इसी प्रकार का कोई कम्पटीशन जीतते है तो आपको 30% का फ्लैट टैक्स देना पड़ता है। अगर आप 10 हजार रूपये जीतते है तो 3000 रूपये का भुगतान आपको टैक्स के रूप में करना पड़ता है।

Cess क्या है?

Cess एक अतिरिक्त चार्ज है जो केंद्र सरकार विशेष कारणों के लिए फण्ड Raise करने के लिए लगाती है। यह Taxpayer द्वारा दिए जाने वाले टैक्स पर एक प्रकार का अतिरिक्त टैक्स है। Cess की धनराशि का उपयोग सरकार विभिन्न प्रकार के समाज कल्याण के कार्यों के लिए करती है तथा एक बार उद्देश्य पूरा हो जाने के बाद सरकार इस टैक्स को रोक देती है। उदहारण के लिए भारत सरकार स्वच्छ भारत के लिए Cess लेती है तथा इसी प्रकार Health Cess तथा Education Cess भी लिए जाते है। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए हेल्थ तथा एजुकेशन पर Cess 4% था इसका मतलब ये हुआ कि अगर आपकी टैक्स अमाउंट 1 लाख रूपये है तो आपको 4000 रूपये का अतिरिक्त भुगतान भी करना पड़ेगा।

इनकम टैक्स कैलकुलेशन (Winnings के लिए)

अब हम जो इनकम टैक्स कैलकुलेशन कर रहे है उसमे हम यह मानकर चल रहे है कि उस व्यक्ति की किसी प्रकार की कोई अन्य आय नहीं है तथा किसी प्रकार का अन्य इन्वेस्टमेंट बगैरा भी नहीं है। व्यक्ति भारत का नागरिक है तथा उसकी उम्र 60 वर्ष से कम है तो उसकी Winnings पर टैक्स इस प्रकार से लगता है –

Income = Rs 1000

Taxable income = Rs 1000.
Tax @ 30% = Rs 300
Surcharge @ 0% = 0
Cess @ 4% = Rs 12
इस प्रकार, take home money = Rs 688

Income = Rs 2000

Taxable income = Rs 2000.
Tax @ 30% = Rs 600
Surcharge @ 0% = 0
Cess @ 4% = Rs 24
इस प्रकार, take home money = Rs 1376

Income = Rs 3000

Taxable income = Rs 3000.
Tax @ 30% = Rs 900
Surcharge @ 0% = 0
Cess @ 4% = Rs 36
इस प्रकार, take home money = Rs 2064

Income = Rs 5000

Taxable income = Rs 5000.
Tax @ 30% = Rs 1500
Surcharge @ 0% = 0
Cess @ 4% = Rs 60
इस प्रकार, take home money = Rs 3440

Income = Rs 10,000

Taxable income = Rs 10000.
Tax @ 30% = Rs 3000
Surcharge @ 0% = 0
Cess @ 4% = Rs 120
इस प्रकार, take home money = Rs 6880

Income = Rs 20,000

Taxable income = Rs 20,000.
Tax @ 30% = Rs 6000
Surcharge @ 0% = 0
Cess @ 4% = Rs 240
इस प्रकार, take home money = Rs 13,760

Income = Rs 40,000

Taxable income = Rs 40,000.
Tax @ 30% = Rs 12,000
Surcharge @ 0% = 0
Cess @ 4% = Rs 480
इस प्रकार, take home money = Rs 27,520

Income = Rs 80,000

Taxable income = Rs 80,000.
Tax @ 30% = Rs 24,000
Surcharge @ 0% = 0
Cess @ 4% = Rs 960
इस प्रकार, take home money = Rs 55,040

Income = Rs 1,60,000

Taxable income = Rs 1,60,000.
Tax @ 30% = Rs 48,000
Surcharge @ 0% = 0
Cess @ 4% = Rs 1920
इस प्रकार, take home money = Rs 1,10,080

Income = Rs 3,20,000

Taxable income = Rs 3,20,000.
Tax @ 30% = Rs 96,000
Surcharge @ 0% = 0
Cess @ 4% = Rs 3840
इस प्रकार, take home money = Rs 2,20,160

Income = Rs 6,40,000

Taxable income = Rs 6,40,000.
Tax @ 30% = Rs 1,92,000
Surcharge @ 0% = 0
Cess @ 4% = Rs 7680
इस प्रकार, take home money = Rs 4,40,320

Income = Rs 12,50,000

Taxable income = Rs 12,50,000.
Tax @ 30% = Rs 3,75,000
Surcharge @ 0% = 0
Cess @ 4% = Rs 15,000
इस प्रकार, take home money = Rs 8,60,000

Income = Rs 25,00,000

Taxable income = Rs 25,00,000.
Tax @ 30% = Rs 7,50,000
Surcharge @ 0% = 0
Cess @ 4% = Rs 30,000
इस प्रकार, take home money = Rs 17,20,000

Income = Rs 50,00,000

Taxable income = Rs 50,00,000.
Tax @ 30% = Rs 15,00,000
Surcharge @ 0% = 0
Cess @ 4% = Rs 60,000
इस प्रकार, take home money = Rs 34,40,000

income tax calculation

Surcharge क्या है?

Surcharge टैक्स पर ही लगने वाला एक अतिरिक्त प्रकार का टैक्स है। केंद्र सरकार Surcharge की वसूली इनकम पर न करके लगने वाले टैक्स पर करती है। उदाहरण के लिए अगर इनकम 100 रूपये है तथा उस पर 40 रूपये का टैक्स लग रहा है तो Surcharge केवल 40 रूपये पर ही लगेगा। Cess की गणना लगने वाले टैक्स तथा Surcharge के योग पर की जाएगी। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत में Surcharge की रेट्स ये थी –

income tax calculation

इस प्रकार 50 लाख से ज्यादा इनकम पर TDS, Surcharge तथा Cess लगेंगे जिसको निम्नलिखित कैलकुलेशन की सहायता से और अच्छे से समझा जा सकता है –

Income = Rs 1,00,00,000

Taxable income = Rs 1,00,00,000.
Tax @ 30% = Rs 30,00,000
Surcharge @ 10% = 3,00,000
Cess @ 4% = Rs 1,32,000
इस प्रकार, take home money = Rs 65,68,000

Income = Rs 7,00,00,000

Taxable income = Rs 7,00,00,000.
Tax @ 30% = Rs 2,10,00,000
Surcharge @ 37% = 77,70,000
Cess @ 4% = Rs 11,50,800
इस प्रकार, take home money = Rs 4,00,79,200

इनकम टैक्स कैलकुलेशन (Non-Winnings के लिए)

अब हम जो इनकम टैक्स कैलकुलेशन करने वाले है उसके लिए हम यह मानकर चल रहे है कि व्यक्ति की आय किसी भी प्रकार की लॉटरी या अन्य इसी प्रकार की Winnings से नहीं है। व्यक्ति की आय रोजगार या फिर अन्य स्रोतों से ही है तथा व्यक्ति किसी प्रकार का इन्वेस्टमेंट भी नहीं करता है। व्यक्ति भारत का रहने वाला है तथा उसकी उम्र 60 साल से कम है। इस स्थिति में टैक्स स्लैब रेट्स इस प्रकार से लागु होती है –

इनकम टैक्स स्लैब्स

वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इनकम टैक्स कैलकुलेशन इस प्रकार से लागु होती है अगर आपकी इनकम किसी प्रकार की Winnigs से नहीं है –

income tax calculation

Income = Rs 1,60,000

Taxable income = Rs 1,60,000.
Tax @ 0% = 0
Surcharge @ 0% = 0
Cess @ 4% = 0
इस प्रकार, take home money = Rs 1,60,000

Rebate क्या है?

इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87A के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की आय 5 लाख रूपये से कम है तो उसको 12,500 रूपये तक का Rebate मिलता है। यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि यह रिबेट Deductions या Exemptions की तरह नहीं है। अगर आपकी आय 5 लाख रूपये से 1 रुपया भी ज्यादा होती है तो आप Rebate के लिए योग्य नहीं रहेंगे।

Income = Rs 3,20,000

Taxable income = Rs 3,20,000.
Tax up to Rs 2.5 lakh = 0
Tax on 2.5 – 3.2 lakh @ 5% = 3500
Rebate u/s 87A = Rs 3500
Net tax = 0
इस प्रकार, take home money = Rs 3,20,000

Income = Rs 6,40,000

Taxable income = Rs 6,40,000.
Tax up to Rs 2.5 lakh = 0
Tax on 2.5 – 5 lakh @ 5% = 12,500
Tax on 5 – 6.4 lakh @ 20% = 28,000
Cess @ 4% on (12,500 + 28,000 = 40,500) = Rs 1620
Net tax = Rs 42,120
इस प्रकार, take home money = Rs 5,97,880

Income = Rs 12,50,000

Taxable income = Rs 12,50,000.
Tax up to Rs 2.5 lakh = 0
Tax on 2.5 – 5 lakh @ 5% = 12,500
Tax on 5 – 10 lakh @ 20% = 1,00,000
Tax on 10 – 12.5 lakh @ 30% = 75,000
Cess @ 4% on (12,500 + 1,00,000 + 75,000 = 1,87,500) = Rs 7500
इसलिए , Net tax = Rs 1,95,000
इस प्रकार, take home money = Rs 10,55,000

Income = Rs 7,00,00,000

Taxable income = Rs 7,00,00,000.
Tax up to Rs 2.5 lakh = 0
Tax on 2.5 – 5 lakh @ 5% = 12,500
Tax on 5 – 10 lakh @ 20% = 1,00,000
Tax on 10 lakh – 7 crore @ 30% = 2,07,00,000
Surcharge @ 37% = 77,00,625
Cess @ 4% on (12,500 + 1,00,000 + 2,07,00,000 + 77,00,625 = 2,85,13,125) = Rs 11,40,525
इसलिए , Net tax = Rs 2,96,53,650
इस प्रकार, take home money = Rs 4,03,46,350

इनकम टैक्स कैलकुलेशन की प्रक्रिया को और ज्यादा विस्तार से समझने के लिए तथा भारत देश की वर्तमान टैक्स स्लैब रेट्स के बारे में जानने के लिए आप हमारे इस वीडियो को देख सकते है –

ग्रॉस टोटल इनकम क्या है?

किसी भी व्यक्ति की समस्त स्रोतों से आने वाली आय के योग को ही ग्रॉस टोटल इनकम के नाम से जाना जाता है। इसमें आपकी सैलरी, बिज़नेस, प्रॉपर्टी, कैपिटल गेन तथा अन्य स्रोतों से आने वाली समस्त आय को शामिल किया जाता है। इस ग्रॉस टोटल इनकम को भी आगे 2 भागों में बांटा जा सकता है – Exempted Income तथा Taxable Income

income tax calculation

Exempted Income क्या है?

इनकम टैक्स एक्ट 1961 के चैप्टर 3 में इनकम टैक्स Exemption के बारे में वर्णन किया गया है। कुछ इनकम के स्रोत ऐसे होते है जिन पर आप टैक्स पेमेंट में छूट प्राप्त कर सकते है। इसलिए इन इनकम के स्रोतों को इनकम टैक्स कैलकुलेशन की प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाता है। इस प्रकार Exempted Income में उस इनकम को शामिल किया जाता है जिसको टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है। Exempted Income के कुछ उदाहर इस प्रकार है –

  • House Rent Allowance, इसके बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारे इस ब्लॉग को पढ़ सकते है –  House Rent Allowance (HRA) | Calculation & Exemption Rules.
  • Leave Travel Allowance or (यात्रा भत्ता)। इसके बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारे इस ब्लॉग को पढ़ सकते है Leave Travel Allowance (LTA) | How To Claim Income Tax Deduction?
  • किसी भी प्रकार की Gratuity या VRS या पेंशन जो सम्बंधित वित्त वर्ष में प्राप्त की गयी हो, इसके बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारे इस ब्लॉग को पढ़ सकते है – Gratuity Calculation Formula | How much gratuity money will I get?
  •  Cellphones, lapops, आदि के रूप में प्राप्त अतिरिक्त पैसा
  •  Employer से मिलने वाला Accomodation
  • Agriculture income
  •  एक पार्टनरशिप फर्म का प्रॉफिट
  • Children Education अलाउंस (बच्चों की पढ़ाई का भत्ता) या Hostel अलाउंस। इसके बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारे इस ब्लॉग को पढ़ सकते है – Children Education Allowance & Hostel Allowance | Tax-Saving Tips

इस प्रकार के सभी Exempted Income स्रोतों की जानकारी एक कर्मचारी को अपने Employer को टैक्स फाइल करने से पहले दे देनी चाहिए। उसके बाद आपके Employer टैक्स पेमेंट की गणना कर सकता है तथा TDS को डेडक्ट कर लेता है।

Taxable Income क्या है?

Taxable Income के अंदर उस टोटल इनकम को शामिल किया जाता है जिसपे आपको टैक्स भरना पड़ता है। Taxable Income में सैलरी, बोनस, वेज, टिप्स, इन्वेस्टमेंट इनकम आदि को शामिल किया जाता है इसको ग्रॉस इनकम के नाम से भी जाना जाता है।

Tax Deduction क्या है?

Tax Deduction एक व्यक्ति की टैक्सेबल इनकम में से डिडक्शन है ताकि टैक्स की राशि को कम किया जा सकें। टैक्स डिडक्शन्स में सामान्यतः एक व्यक्ति द्वारा संबंधित वित्त वर्ष में किए गए सभी खर्चों को शामिल किया जाता है। उसके बाद इन डिडक्शन्स को टैक्सेबल इनकम में से घटाया जाता है ताकि एक व्यक्ति द्वारा भरे जाने वाले एक्चुअल टैक्स का पता लगाया जा सकें। टैक्स डिडक्शन के कुछ प्रकार यहां दिए गए है –

  • PPF
  • लाइफ इन्शुरन्स प्रीमियम
  • नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट
  • बैंक फिक्स्ड डिपाजिट
  • सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम
  • पोस्ट ऑफिस टाइम डिपाजिट
  • होम लोन EMIs
  • म्यूच्यूअल फण्ड तथा ELSS
  • घर के लिए स्टाम्प ड्यूटी तथा रजिस्ट्रेशन चार्ज
  • रिटायरमेंट सेविंग्स प्लान
  • टूशन फीस
  • मेडिकल इन्शुरन्स प्रीमियम्स
  • इंफ्रास्ट्रक्चर बांड्स
  • चैरिटेबल कंट्रीब्यूशन
  • अपंग आश्रितों का इलाज
  • एजुकेशन लोन का ब्याज
  • घर के किराये पर डिडक्शन

नेट टैक्सेबल इनकम क्या है?

इनकम में से टैक्स डिडक्शन को घटाने के बाद बचने वाली राशि को नेट टैक्सेबल इनकम कहते है। इस प्रकार इनकम टैक्स की गणना नेट टैक्सेबल इनकम पर की जाती है।

Tax Rebate क्या है?

टैक्स रिबेट आपके टैक्स पर मिलने वाला एक रिफंड है। इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 87A उन लोगों को टैक्स रिबेट प्रदान करता है जिनकी इनकम एक निश्चित राशि से कम होती है। टैक्स भरने वाले नागरिकों को कभी कभी अपने इनकम टैक्स पेमेंट पर रिफंड भी मिलता है लेकिन ऐसा तभी होता है जब वो बकाया टैक्स की तुलना में ज्यादा टैक्स का भुगतान करते है।

इसके बारे में ज्यादा जानने के लिए आप हमारे इस वीडियो को देख सकते है –

वित्त वर्ष 2021-22 के लिए एक Salaried Person के लिए कम्पलीट टैक्स प्लानिंग

आपको मिलने वाली वार्षिक सैलरी का अच्छे से विश्लेषण करके आप अपने लिए अच्छे से टैक्स प्लानिंग कर सकते है तथा टैक्सेबल इनकम को कम कर सकते है –

इनकम टैक्स Deduction तथा Exemption –

सभी प्रकार के Deductions तथा Exemptions को अपनी सैलरी में अप्लाई करके आप अपनी टैक्सेबल इनकम को कम कर सकते है। ये दोनों टर्म्स अलग-अलग है तथा इनको आपस में इंटरचेंज नहीं किया जा सकता। उदाहरण के लिए माना कि राम के पास आय के 3 स्रोत है – ऑफिस सैलरी, फार्मिंग इनकम तथा राम एक पार्टनरशिप फर्म में साइलेंट पार्टनर भी है। राम की कुल आय 17 लाख है जिसमे से फार्मिंग तथा पार्टनरशिप फर्म की आय टैक्स से Exempted है। हालाँकि सैलरी वाली इनकम में भी कुछ Exemption का फायदा उठाया जा सकता है।

इस प्रकार राम की टोटक टैक्सेबल इनकम निकालने के लिए हम टोटल आय में से Exemptions को घटा देंगे तथा उसकी टोटल नेट टैक्सेबल इनकम निकालने के लिए हम टैक्सेबल इनकम में से सारे Deductions को घटा देंगे। नेट टैक्सेबल इनकम पर राम को टैक्स देना होगा। इसलिए टैक्स कम करने के लिए उसकी नेट टैक्सेबल इनकम को कम करना जरूरी है।

income tax calculation

Exemptions तथा Deductions से सम्बंधित सभी प्रकार की दुविधाओं को दूर करने के लिए आप New Tax Regime को देख सकते है

income tax calculation

Salaried Employees के लिए Exemptions

सभी सैलरी स्लिप्स में कुछ सामान पैरामीटर जरूर होते है जैसे Basic, DA, HRA भत्ते, LTA आदि। इसके अलावा फ़ूड तथा मोबाइल जैसे कुछ Reimbursements का भी जिक्र होता है। इन सभी पैरामीटर्स में से एक कर्मचारी को बेसिक सैलरी तथा DA पर फुल टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। इसके अलावा Allowances तथा Reimbursements पर कुछ निश्चित Exemptions प्राप्त किए जा सकते है।

लेकिन इसका मतलब यह नहीं हो जाता कि एक कर्मचारी अपनी फुल सैलरी को Allowances के अंतर्गत प्राप्त कर ले तथा टैक्स से पूरी तरह छुटकारा पा ले। आपको यह जरूर जान लेना चाहिए कि Wages Act के तहत एक कर्मचारी की सैलरी का न्यूनतम 50 % हिस्सा Basic Wage के अंतर्गत आएगा। इसके अलावा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने Allowances पर मिले वाली टैक्स छूट पर भी कुछ लिमिटेशंस लगा राखी है। लेकिन फिर भी आप कुछ तरीकों से टैक्स पेमेंट बचा सकते है।

HRA Tax Exemption

HRA की मदद से आप टैक्स सेविंग कर सकते है। सरकार ने भी HRA पर Exemptions दे रखे है क्योंकि एक कर्मचारी को नौकरी करने के लिए नए शहर में ट्रांसफर होना पड़ सकता है तथा इसकी मदद से उसका किराये का बोझ थोड़ा कम हो जाएगा। HRA Exemptions को कैलकुलेट करने के लिए आपको सबसे पहले इन चीजों की कैलकुलेशन करनी पड़ती है –

  • सैलरी पर मिलने वाला एक्चुअल HRA, अगर कर्मचारी को सैलरी पर HRA नहीं मिल रहा है तो उनको किसी प्रकार का HRA Exemptions का लाभ नहीं मिलेगा।
  • मेट्रो सिटीज के लिए बेसिक सैलरी का 50% तथा नॉन मेट्रो सिटीज के लिए बेसिक सैलरी का 40 %
  • किराये में से बेसिक Wage का 10%

ऊपर दी गयी तीनों राशियों में से जो राशि सबसे कम होगी वो ही HRA Exemption के लिए मान्य होगी।

LTA Tax Exemption

Leave Travel Allowance या LTA एक प्रकार का Allowance है जो एक एम्प्लायर द्वारा अपने कर्मचारियों को उपलब्ध करवाया जाता है। इस Allowance में कर्मचारी के ट्रेवल सम्बंधित खर्चों को शामिल किया जाता है। जब कर्मचारी छुट्टी पर होता है इनकम टैक्स एक्ट एक सेक्शन 10(5) के अंतर्गत इस भत्ते को इनकम टैक्स से Exempted रखा गया है ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि इन खर्चों को कर्मचारी की सालाना नेट इनकम में शामिल नहीं किया जाता है। ट्रेवल भत्ते को क्लेम करने के लिए कुछ शर्तें इस प्रकार है –

  • यह तभी क्लेम हो पाएगा जब कर्मचारी हकीकत में ट्रेवल कर रहा है।
  • इस बेनिफिट में केवल भारत देश में की गयी ट्रैवेलिंग ही शामिल है इंटरनेशनल यात्राओं के खर्चों को इसमें शामिल नहीं किया जा सकता।
  • Travel Allowance एक कर्मचारी के साथ साथ उसके परिवार के सदस्यों को भी मिलता है परिवार के इन सदस्यों को इसमें शामिल किया गया है –
    • Spouse
    • अधिकतम 2 बच्चे
    • आश्रित पेरेंट्स
    • आश्रित Siblings

बच्चों के एजुकेशन तथा हॉस्टल Allowance पर टैक्स Exemption

एक परिवार में अधिकतम 2 बच्चों तक भारत सरकार प्रति बच्चे के लिए 100 रूपये का Tax Exemption ऑफर करती है। यह बच्चों की शिक्षा के उद्देश्य से लागु किया गया है। इसे Children Education Allowance के नाम से जाना जाता है। 20 वर्ष से कम उम्र के बच्चे इस प्लान के लिए Eligible है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10(14) के अंतर्गत अधिकतम 2400 रूपये वार्षिक तक का क्लेम इस इस भत्ते के अंदर मिल सकता है।

इसके अलावा Hostel Allowance के अंतर्गत अधिकतम 2 बच्चों तक 300 रूपये प्रति बच्चे का Tax एक्सेम्पशन का फायदा उठाया जा सकता है। इस प्रकार सालाना 7200 रूपये तक का अधिकतम क्लेम बेनिफिट इसके अंतर्गत लिया जा सकता है। यह क्लेम भी इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10(14) के अंतर्गत आता है।

Reimbursements

एक कर्मचारी के तौर पर अगर आप एक कंपनी के लिए कोई खर्चा करते है तथा इसके बाद आपको कंपनी की तरफ से Reimbursements मिलता है तो उसपे आपको कोई टैक्स देने की जरूरत नहीं है। उदाहरण एक लिए मोबाइल बिल, Wi-Fi बिल, Meal Coupens आदि। इसलिए एक कर्मचारी के तौर पर आपको ज्यादा Allowances की बजाय Reimbursements पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि Reimbursements ज्यादातर टैक्स से Exempted होते है लेकिन आपको अपने Employer के साथ इसके बारे में और बात कर लेनी चाहिए।

Salaried कर्मचारियों के लिए Deductions

Salaried Employees के लिए इस प्रकार से Deductions उपलब्ध है –

  • सभी salaried Employees को फ्लैट 50,000 रूपये का स्टैण्डर्ड डिडक्शन मिलता है।
  • PPF, SSY, बच्चों की टूशन फीस, ELSS आदि में निवेश के लिए 80C Deduction की सुविधा मिलती है।
  • NPS में निवेश करने के लिए 80CCD Deduction
  • हेल्थ इन्शुरन्स के लिए 80D डिडक्शन जिसमे आपको पर्सनली 25,000 रूपये तक का तथा फॅमिली के लिए 50,000 रूपये तक का टैक्स डिडक्शन मिलता है।
  • Preventive Health Checkup के लिए 5,000 रूपये तक का डिडक्शन मिल जाता है।
  • सेविंग अकाउंट के लिए तथा FD इंटरेस्ट के लिए 10,000 रूपये तक का डिडक्शन (सीनियर सिटीजन के लिए 50,000 रूपये तक का डिडक्शन)।

टैक्स सेविंग के लिए ज्यादा जानने के लिए आप हमारे इस वीडियो को देख सकते है –

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